Helping today Helping tommorow
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यह युक्ति किसी जाति, धर्म सम्पदाय विशेष के लिए नहीं बल्कि संसार के प्रत्येक प्राणी के लिए उपयोगी है, क्योंकि दया ही धर्म का मूल है, प्रत्येक जीव की रक्षा करना प्रत्येक मानवता का कर्त्तव्य है, अपने कर्त्तव्य का पालन किए बगैर कोई भी धर्मात्मा नहीं कहलाता है, इस बात का ध्यान रखते हुएँ एक दिव्य पुरुष ने निर्मल भावना भाई और अपने शिष्यों को पावन प्रेरणा दी और एक फाउण्डेशन का निर्माण किया जो सभी जीवों के कष्ट दूर करने में सहायक बने, प्रत्येक जीव को मानवता का बोध कराये पुण्यकार्य में है निमित्त बने, आप सभी भी प्रत्येक जीव पर करुणाभाव रखते हुए सातिशय पुण्य कर्मो का अर्जन करें।
सहयोग के कार्य, चाहे कितने भी छोटे क्यों न हों, बोझ हल्का करने, मनोबल बढ़ाने और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करने की शक्ति रखते हैं। चाहे वह किसी पड़ोसी की मदद करना हो, किसी कार्य के लिए दान देना हो।